Not known Details About hanuman chalisa
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rāamRāamLord Rama milāyaMilāyaMade them meet / be a part of / released rājapadaRājapadaKingship / kingdom dīnhāDīnhāGave / furnished That means: You rendered fantastic assist to Sugriva and created him good friends with Lord Ram and bestowing on him the kingdom of Kishkindha.
kumatiKumatiIgnorance / undesirable intellect nivāra NivāraPurify / cleanse sumatiSumatiWise / excellent intelligence keKeOf sangīSangīCompanion / Mate That means: Oh terrific hero with valiant human body as powerful as Indra’s Vajra (Thunderbolt/weapon), the remover of undesirable intellect or ignorance or evil views, oh the companion of the good.
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥२९॥ साधु सन्त के तुम रखवारे ।
tinoTinoThree lokLokWorlds hānkaHānkaFear te kāpaiTe kāpaiShake / tremble This means: You on your own can endure your own personal ability/splendor. All three worlds (Svarka, Patala and Pritvi) would tremble at your roar.
व्याख्या – रोग के नाश के लिये बहुत से साधन एवं औषधियाँ हैं। यहाँ रोग का मुख्य तात्पर्य भवरोग से तथा पीड़ा का तीनों तापों (दैहिक, दैविक, भौतिक) से है जिसका शमन श्री हनुमान जी के स्मरण मात्र से होता है। श्री हनुमान जी के स्मरण से निरोगता तथा निर्द्वन्द्वता प्राप्त होती है।
“O partial incarnation of Lord shiva, giver of Pleasure to King Kesari. Your terrific majesty is revered by the whole environment.”
काँधे मूँज जनेउ साजै ॥५॥ सङ्कर सुवन केसरीनन्दन ।
भावार्थ – आपकी शरण में आये हुए भक्त को सभी सुख प्राप्त हो जाते हैं। आप जिस के रक्षक हैं उसे किसी भी व्यक्ति या वस्तु का भय नहीं रहता है।
BhīmaBhīmaFrightening rūpaRūpaForm / system / form DhariDhariAssuming asuraAsuraDemon samhāreSamhāreDestroy / destroy
महाबीर जब नाम सुनावै ॥२४॥ नासै रोग हरै सब पीरा ।
Thai iconography of Hanuman. He is one of the most popular click here figures in the Ramakien.[141] Hanuman plays a significantly more popular job from the Ramakien.[142] In contrast into the rigorous devoted Way of living to Rama of his Indian counterpart, Hanuman is understood in Thailand as a promiscuous and flirtatious figure.
व्याख्या – श्री शंकर जी के साक्षी होने का तात्पर्य यह है कि भगवान श्री सदाशिव की प्रेरणा से ही श्री तुलसीदास जी ने श्री हनुमान चालीसा की रचना की। अतः इसे भगवान शंकर का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त है। इसलिये यह श्री हनुमान जी की सिद्ध स्तुति है।
आप सुखनिधान हैं तथा सभी सुख आपकी कृपा से सुलभ हैं। यहाँ सभी सुख का तात्पर्य आत्यन्तिक सुख तथा परम सुख से है। परमात्म प्रभु की शरण में जाने पर सदैव के लिये दुःखों से छुटकारा मिल जाता है तथा शाश्वत शान्ति प्राप्त होती है।
He whoever recites this hundred periods, his chains of Bondage are going to be Minimize, Wonderful pleasure is going to be his.